बुधवार, 28 अक्तूबर 2009

कसक

रिश्ते ऐसे बनते बिगड़ते रहते हैं
जैसे सूरज डूबता निकलता रहता है
एक रिश्ता ऐसा बने
जो रहे हमेशा हमेशा
रिश्ते इतने नाजुक होते हैं
एक रिश्ता ऐसा होता
ना बनता ना बिगड़ता होता
रिश्ते की कद्र हर रिश्ता करता
एक रिश्ता ऐसा होता
जो सदा सलामत रहता

सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

दर्द

दर्द सहन से ज्यादा हो जाए
तो दवा बन जाती है
ग़म दिल में रखने से
नासूर बन जाती है
आँसू आँखो से निकल जाए तो
पानी बन जाती है
प्यार ज्यादा हो जाए तो
जूनून बन जाती है
रिश्तों में प्यार ना हो तो
दुरियां बन जाती है
अजनबी भी रोज मिलें तो
दोस्त बन जातें हैं
कुछ लोग होतें हैं ऐसें
जो खुदा बन जातें हैं
बेगाने भी कभी
अपने बन जातें हैं






सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

जिंदगी


जिंदगी चलने का नाम है


अगर रुक जाए तो क्या नाम है


कहते हैं ये जिंदगी हमें आगे बड़ाती है


अगर यही हमें पीछे ले जाए तो क्या कहते हैं


कहते हैं गूजरा वक़्त वापस नहीं आता


अगर वही गूजरा वक़्त यादों में आए तो


क्या कहते हैं


कहते हैं जिंदगी रासता भी खूद है और मंजिल भी खूद है


जिंदगी यहीं थम जाए तो सफर क्या है



जिदंगी चलने का नाम है


अगर रुक जाए तो क्या नाम है


कहते हैं बहुत खुबसुरत है जिंदगी


जब अपना क्रूर रुप दिखाती है


तब कितनी बदसूरत है जिंदगी


आप अपनी जिंदगी समेटना चाहो


और रेत की तरह फिसलती जिंदगी


ना मेरी है ना आपकी


बीच सफर में हाथ छोड़ दे


ना जाने किसकी सगी है ये जिंदगी


जिंदगी चलने का नाम है........




शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

दीवाली



दीपावली ऐसा त्योहार है जिसके बारे में सोचने मात्र से आखोँ के सामने
ढेर सारे जगमगाते दीए जलने जलने लगते हैं।
ऐसा लगता है मानो आसमान से तारे जमीं पर आ गएं हों।
चारो तरफ रौशनी ही रौशनी दिखाई देती है।
हर कोई यही सोच कर अपने घर को अच्छे से अच्छा सजाने की कोशिश करता है
कि इस बार लक्ष्मी जी हम पर मेहरबान हो जाए।
और हमारा घर धन धान्य से भरा रहे। हम हर कोशिश करते हैं लक्ष्मीजी को खुश करने की
घर को सजाने से लेकर पूजा की तैयारी तक।
दीवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसके आने पर बच्चे बहुत ज्यादा खुश होते हैं
इनकी दीवाली चार पाँच दिन पहले ही शुरु हो जाती हैं।
जिधर देखो उधर से ही पटाखे की आवाज आनीं शुरु हो जाती है।
और इन शोरों से किसी को तकलीफ तो
किसी को खुशी मिलती है।
हमारे मन में ढेर सारी इच्छाएं रहती हैं जिन्हे हम चाहते हैं कि माँ लक्ष्मी पूरी करें।
उन के सामने अपनी सारी इच्छाएं रख कर उन्हें पूरा करने की कामना करते हैं।
और माँ भी कभी अपने भक्तों को निराश नहीं करती।
उन्हे खुश होने के लिए कुछ ना कुछ ज़रुर देतीं हैं
ज़रुरत है बस दिल से माँगने की।

रविवार, 27 सितंबर 2009

माँ दुर्गा के नाम संदेश


माँ आप आएं इसके लिए शुक्रिया हम सब आपके आने का इंतजार बहुत बेसब्री से करते हैं

हमें आशा रहती है कि जब आप आयेगीं तब सारे दुःख हर लेगीं और हमें सुख़ और शातिं प्रदान करेगीं

माँ हम सब आपको बहुत प्यार करते हैं। अगर ग़लती से भी आपके बच्चों से भूल चूक हो जाये तो हे देवी माँ माफ कर देना हम सब आपके बच्चे हैं आपका प्यार और आर्शीवाद चाहते हैं

माँ दुर्गे आप सब कुछ जानतीं हैं आपसे क्या छिपा है। हे देवी मेरी आपसे एक प्रार्थना है।

मैं आपसे किसी के स्वास्थ्य के लिए आर्शीवाद माँग रही हूँ

देवी उस बच्चे की रक्षा करना। उस पर अपनी कृपा द्रष्टि करना

उसके सारे तकलीफ हर लेना देवी

माँ उस बच्चे को आपके आशीर्वाद की बहुत ज़रुरत है।

उसके परिवार वालों को हिम्मत और इस दुखद समय से लड़ने की शक्ति देना।

मैं जानती हुं माँ कि आप मेरी इच्छा जरुर पूरी करेगीं।

इस विशवास की लाज रखना देवी।

आप तो सब जानती हैं माँ

सब के दिल मे रहती हैं

मेरे मन की भी बाते जान रही हैं

मैं बस उस बच्चे की कुशलता चाह रही हूँ

मेरी यह ईच्छा पूरी कर देना माँ


शनिवार, 26 सितंबर 2009

बचपन

अमीर आदमी का बचपन, ज़वानी और बुढ़ापा सब अच्छा होता है

पर एक ग़रीब आदमी के लिए उसका बचपन जवानी और बुढ़ापा

सब एक समान होता है।

गरीब आदमी का बचपन, जवानी, बुढ़ापा सब काम करते गुज़रता है।

उसकी जवानी कब आती है कब जाती है पता ही नहीं चलता

वह न अपना बचपन जी पाता है न ही जवानी का आनन्द ले पाता है।

और बुढ़ापा तो वह जी ही नही पाता उसका बुढ़ापा आने से पहले ही वह इस दुनियाँ से चला जाता हैं।

वहीं अमीर आदमी का बचपन क्या मजे सें कटती है

वह अपना बचपन जी ही रहा होता है कि उसकी जवानी कब आ जाती है पता ही नहीं

चलता बुढ़ापा भी उसका सूरक्षित ही रहता है

अमीर और गरीब में कितना फ़र्क है दोनो में जमीन आसमान का अंतर है।

एक सेवा करता है दूसरा सेवा करवाता है।

एक शोषण करता है दूसरे का शोषण होता है

एक के पास खाना इतना होता है कि वह पूरा खा भी नहीं पाता

दूसरे के पास इतना कम होता है कि उसे भर पेट नहीं मिल पाता

एक फेकता है तो दूसरा चुनता है

बुधवार, 19 अगस्त 2009

बचपन


तुझ में मेरा बचपन नजर आता है

जब भी तु दिखे तो बीते दिनो कि हर

मंजर नजर आता है

ऐसी है तेरी छवि कि हर वक्त मेरा

अपना गुजरा वक्त नजर आता है

तु जीता है इस युग को मेरा

अपना युग नजर आता है

तुझ मे मेरा बचपन नजर आता है